ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
ॐ : हे सर्वरक्षक परमात्मा ! आप
भूः प्राणों के भी प्राण
भुवःसब दुखों से छुड़ाने वाले
स्वःस्वयं सुख स्वरूप और अपने उपासकों
को को सब सुख की प्राप्ति कराने वाले हैं
सवितुः सब जगह की उत्पत्ति करने वाले
देवस्य : कामना करने के योग्य
वरेण्यम: अतिश्रेष्ठ ग्रहण वह ध्यान करने योग्य
भर्गः :पवित्र करने वाले शुद्ध स्वरूप है
धीमहि :धारण करें|
य: :जो आप सविता देव परमेश्वर हैं, वह
नः :हमारी
धिय: :बुद्धियों को उत्तम गुण कर्म स्वभावो में
प्रचोदयात् :प्रेरित करें।
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ॐ : हे सर्वरक्षक परमात्मा ! आप
भूः प्राणों के भी प्राण
को को सब सुख की प्राप्ति कराने वाले हैं
देवस्य : कामना करने के योग्य
वरेण्यम: अतिश्रेष्ठ ग्रहण वह ध्यान करने योग्य
भर्गः :पवित्र करने वाले शुद्ध स्वरूप है
धीमहि :धारण करें|
य: :जो आप सविता देव परमेश्वर हैं, वह
नः :हमारी
धिय: :बुद्धियों को उत्तम गुण कर्म स्वभावो में
प्रचोदयात् :प्रेरित करें।
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